संघर्ष
संघर्ष
बिहार की धरती, गाथाएँ सुनाए,
शिक्षा का उजाला, पर अधूरा सा हो पाए।
काले-कोटों की भीड़, यहाँ हो गई है कम,
ज्ञान का स्रोत, फिर भी रहा है सुस्त आणि धूमल।
स्कूलों में किताबें, पर पढ़ाई का आभाव,
गुरु की महिमा, कहीं खो गई अवरुद्ध साहस।
बच्चों का सपना, बनता कमजोर साया,
अवसर की रेखा, पर होती निराशा का लगाम।
तंत्र में राजनीति, शिक्षा में हो विघटन,
विकास की चाह, फिर भी है उपेक्षण।
कभी महापरिवर्तन की आस,
तब भी न हो रही, समस्या का निराकरण पास।
पर अब समय आया, सबको मिलकर चलना है,
शिक्षा की मशाल, हर दिल में जलना है।
बिहार के युवा, ले जाएँ नई आशा,
ज्ञान की सुरंग में, बनें देश के कर्ता।
अज्ञान को मिटाकर, सच्चाई की राह पर,
बिखेरें उजाला, कहें ज्ञान है महायुद्ध।
नई शिक्षा प्रणाली, हो सशक्त, संकल्पित,
बिहार को मिलेगा, एक नया सुखद संकल्पित।
