लड़की की पुकार
लड़की की पुकार
मैं भी तो लड़को की भांति हूं,
हर जगह ही रखती शांति हूं।
इस जगत की रचना में मैंने अपना
है बहुमूल्य योगदान किया
फिर आगे बढ़कर मैंने ही अपना सृस्टि की रचना में योगदान दिया।
ना जाने क्यों मुझे फिर भी इस संसार मे आने से कोसा जाता है
जब मैं माँ के गर्भ में होती हूं मुझे धरती पर आने से रोका जाता है।
और जब मैं थोड़ी बड़ी होती हूं, मुझे धरती की बोझ समझ स्कूल की शिक्षा से रोका जाता है,
समाज की बुरी नजरों का सामना कर जब मैं आगे बढ़ती हूं
ना जाने क्यों मुझे ही वहशी दरिंदो के हाथों बेचा जाता है।
