हाँ, मैं नारी हूँ
हाँ, मैं नारी हूँ
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नदी की धार हूँ,
जीवन का श्रृंगार हूँ,
हर पल बिन रुके थके,
चलने को तैयार हूँ।
मुश्किलों को पार करूँगी,
आशाओं का गीत बनूँगी,
प्राणाधार बन सांसों में,
बसने को तैयार हूँ।
हर वचन निभाऊँगी,
प्रेम पथ पर मिट जाऊँगी,
सप्त वचन का हर धर्म,
निभाने को तैयार हूँ।
कोमल हूँ पर,
आशाओं से भरी हूँ,
कहलाती अबला पर,
हर पुरुष का संबल हूँ,
मुक्त, स्वछन्द विचारों से सींचन कर,
इतिहास रचयिता की जननी हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ।
हाँ, मैं नारी हूँ .......