हाँ हम प्रेम में हैं
हाँ हम प्रेम में हैं
हाँ हम प्रेम में हैं
और हमारे प्रेम में होने की
इतनी सी कहानी है कि
हमने उससे आंख मिलाने की कोशिश की थी
और डूब गये थे उसकी आंख में
और बदल गये इतना
जैसे कि हम वो हो गये।
हमे बोलना नहीं
आता वो बोलता है,
उसे देखना नहीं
आता हम देखते हैं
हम देखते हैं वो बोलता है।
हम देखते हैं
सुबह को गुलाब की पंखुड़ी पर
बिखरे हुये मोतियों को चुराते
हुये स्वर्णिम किरणों को निगलते
हुये रात का गहन अंधेरा।
वो सुनता है
परिंदों का मंगल गान
हम देखते हैं फूलों को मुस्कराते हुये
वो सुनता है उनकी कृतज्ञता भरी आवाज
अहा वो दे गया गन्ध।
हमने रचा था आकाश
और वो देखता था आकाश में टँगा हुआ इंद्रधनुष।
हाँ हम प्रेम में है
और रूबरू हैं जीवन के।
सफर में हैं
हम सफर है प्रेम
मंजिल भी है प्रेम
प्रेम क्या प्रेम का पूरा आकाश
जिसके नीचे नाच रही है ये पूरी दुनिया।
दिलचस्प एहसास हैं इस सफर के
गर्म हवा का झोंका आया
हमसे टकराया बोल उठा
सारी पता नही था तुम हो खो गया हममें।
युद्ध का मौसम आया
एक कदम चला
भड़ाक से बन्द कर लिया
उसने अपना दरवाजा हमारे लिये
युद्ध से वंचित रह गये हम।
युद्ध से वंचित रह गये हम
तो मिल गया चाँद
अपनी चांदनी के साथ
भीग गये उसकी चांदनी में
अंदर आ गयी उसकी की सुगंध
मौसम की नजाकत,
मिलकर न बिछड़ने की नयी प्रथा,
और तब मिल गया समुन्दर
बिठाया उसने अपनी लहरों पर
झूलने लगे झूला लहर से उसकी गहराई तक
उसकी गहराई से लहर तक
पानी में उसकी लहरों के साथ झूलते झूलते,
झूलने के आनन्द में तलाशते रहे चैतन्य होने के सूत्र कि
जाने कब उसने उछाल दिया अपने किनारे।
बालू का रेगिस्तान
न किसी विचार की आहट
न किसी पांव के निशान
अकेले अकेले
हमसफ़र प्रेम के।
यूँ ही अकेले चल पड़े
चलना जो था कि
मिल गयी आशा
होती हुई सुबह की तरह
दिख गये मनुष्य समुन्दर में लगाते हुये गोता,
परिंदे उड़ते हुये समुन्दर के ऊपर
लहरों पर मारते हुये अपनी चोंच।
एक कदम और
चला तो मिल गया अंधेरा
मिलते ही जल गया छन्न से
जैसे जल उठती है
पानी की बूंद तपते हुये तवे पर
थोड़ी रौशनी हुयी दिखा कुछ
कहते हैं लोग एक कहानी थी वो।
रुकना तो था नहीं
चलते रहे, चलते रहे
और मिल गयी झील
झील में नाव में बैठे हुये कुछ
लोग गुनगुनाते हुये एक तराना
भोर हुयी शोर
शाम का सूरज डूबा फैला
और अंधेरा
सोये मन में डाला फिर सपनों ने डेरा।
शाम का सूरज डूबा
राहें हंसकर बोलीं
मैं तेरी राहों में
मन्जिल मुड़कर बोली
मैं तेरी बाहों में।
गुनगुनाते हुये दूर जाते हुये पथिक
और नेपथ्य से उभरता हुआ शोर
शोर यानी एक बस्ती
बस्ती के एक छोर पर पार्क
पार्क में एक दूसरे को फूल देते हुये लोग।
जीवन भर का प्रेम
एक क्षण की याद
और उसपर भी विवाद
हाँ हम प्रेम में हैं
और एक दिन यूँ बन जाएंगे एक कहानी
और फिर भी रह जायेगा प्रेम।
अभी भी तो कहानियां है
प्रेम की किसिम किसिम की।
किसी के देश से
किसी की इंसान से
किसी की अवाम से
किसी की खुदा से
रूबरू भी हैं हम
प्रेम की इन ढेर सारी कहानियों से।
प्रेम की इन ढेर सारी कहानियों के बीच
खुल रहा है हमारे प्रेम का संसार
एक नया संसार
जहां हर अप्रसांगिक सम्मोहन
हवा में उड़ने लगता है
और प्रेम जीवन की जरूरत की
तरह शेष रह जाता है
और प्रेम में ही हैं हम
और खोये हुये है उसके प्रेम में
जी रहे हैं
उसकी शक्ति से
रूबरू होते हालात में।
बदलते हुये प्रेम से खुद को
एक इरादा लिये
हुये बांटना ही है यही प्रेम जो प्राप्त है
उसकी करुणा भरी नजर से,
खुद की रचना की दशा से द्रवित
वो एक बार फिर हमें प्रेम से
आवेशित कर रहा है
नया प्रेम है उसका और है हमारे जीवन में
प्रेम को याद करते हुये
प्रेम से ही जीने के हुनर
कितना
अच्छा होता जिसको प्रेम में एक फूल देते हैं
उसके हो जाते उसी फूल की तरह
जो बांटता रहता है खुशबू
अपने पास से गुजरने वाले हर किसी को
हाँ हम प्रेम में हैं
और सफर में हैं जीवन के
महसूस करते हुये खुद को उसका एक फूल।

