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गज़ल

गज़ल

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वो इक याद ख्वाबों मे पलती रही

युं शमा मोहब्बत की जलती रही।

सदा साथ चलने का वायदा किया

ये तबियत हमारी पीघलती रही।

बदलना जमाने की फितरत बनी

तमन्ना तेरी ओर ढलती रही।

नज़र का इशारा मिला आपका

जवां दिल की हसरत मचलती रही।

जुदाई के शीकवे गिले बढ़ गये

मगर चाह सीने में पलती रही।

उम्मीदों का दामन बचाया बहुत

जगी आस मासूम उबलती रही।

     


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