गवाही
गवाही
मुकदमा चला है मेरी उम्र की ईमानदारी का
ना जाने अब कब मेरी रिहाई होगी
तुम भी आना दोस्त तमाशा खूब होगा
सुना है बापू की भी गवाही होगी
सच को कटघरे में खड़ा करेंगे सब
और झूठ के सामने सुनवाई होगी
रस्मों कसमों को घर छोड़ कर आना
सुना है वहां बहुत सख्ताई होगी
बदनामी काले कोट में जिरह करेगी
रिश्वत की किताब की कसम खानी होगी
क्यों रहा मैं सच्चा, ईमानदार उम्र भर
कहते है इस पर कोई जांच बिठानी होगी
सब कहते है निकल लो कुछ ले दे कर
वरना लकीर की जगह सांप की बरामदगी होगी
सात पीढ़ीयाँ भुगतेंगी सजा मेरे जुर्म की
इतनी आसानी से अब ना रिहाई होगी
काल कोठरी से पुकारा था मैंने बापू को
लाज तो फिर बापू को भी आई ही होगी
बोले मेरे तस्वीर वाले कागज़ थोड़े बाँट देते
भुगत अब तेरी यूं ही जग हँसाई होगी