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Abhilasha Chauhan

Romance

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Abhilasha Chauhan

Romance

गूँज शहनाई हृदय से

गूँज शहनाई हृदय से

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तार मन के बज उठे हैं

भाव देते ताल लय से

गूँजती है आज सरगम

देह तंत्री के निलय से


पंखुड़ी खिलती अधर की

मंद स्मित डोलती सी

नैन पट पर लाज ठहरी

मौन है कुछ बोलती सी

स्वप्न स्वर्णिम भोर जैसे

देखती है नेत्र द्वय से


इंद्रधनुषी सी छटा अब

दिख रही चहुँ ओर बिखरी

धड़कनों की रागिनी में

कामनाएँ आज निखरी

प्रीत की रचती हथेली

गूँज शहनाई हृदय से।


है नवल जीवन सवेरा

हंस चुगते प्रीत मोती

प्राण की उर्वर धरा पर

भावनाएँ बीज बोती

खिल उठा उपवन अनोखा

चहकता है अब उभय से।


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