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Dipti Agarwal

Romance

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Dipti Agarwal

Romance

गूँज -इज़्तिरार

गूँज -इज़्तिरार

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नज़र का वार,

वो दिल का क़रार,

कुछ इश्क़-सा था वो,

या बस यूं ही इज़्तिरार।

हवा में खुशबू,

जन्नत-सा जादू,

मोहब्बत ए आबशार

कुछ इश्क़-सा था वह,

या बस यूं ही इज़्तिरार।

रोका भी खुद को,

टोका भी खुद को,

डांटा भी,

कोसा भी खुद को,

रूह फिर भी करती रही,

लम्हा लम्हा,

उस दस्तक का इंतज़ार,

कुछ इश्क़-सा था वह या,

बस यूं ही इज़्तिरार।

हुए बेबस,

पंहुचे उस दर तक,

वो एक छुवन,

मिटा हर खुमार,

मेरा खुदा मेरी मज़ार,

है मंज़िल वही, वही करार,

ना जाने,

कुछ इश्क़-सा है वह,

या बस यूं ही इज़्तिरार।

रोशन तो है हर ज़र्रा,

उसी इश्क़ के रंगों से बेशुमार।



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