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Nalanda Satish

Romance

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Nalanda Satish

Romance

गुस्ताख दिल

गुस्ताख दिल

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कितनी गुस्ताखियाँ करेगा मेरे नादां दिल

बड़ी मुश्किल से बसती है दिल की बस्तियाँ 


चाहनेवाले तो बेशुमार मिलते हैं जमाने मे

शीद्दत से मिटनेवालों की रह जाती निशानीयाँ 


प्यार करने वालों पर लगे हैं दुनिया भर के पहरे

रूह से रूह को मिलने मे कहाँ है आसानियाँ 


हमने तो मान ली गुस्ताखियां दिलो की

अब जिसे जो करना है करे सरगोशियाँ 


आँसू बहाना हमारी फितरत मे नही

प्यार गर है गुनाह तो गुनाह ही सही हम करेंगे गुनाहगरियाँ 


जमाने को कौन खुश कर पाया है 'नालंदा '

चलो आज करते हैं कुछ नादानीयाँ 



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