गुरु नाम।
गुरु नाम।
पैदा हुआ तू इस धरती पे, क्यों इतना इठलाता है।
अहोभाग्य है नर-तन पाकर, जो विरलों को मिल पाता है।।
ऐ ! ईश्वर की अमूल्य धरोहर, अपने को तू जान ले।
समय चक्र कभी रुक न पाता, असली दौलत को पहचान ले।।
जो आया है जाना उसको, क्यों फँसा इस भ्रम जाल में।
कर ले अपनी सफल जिंदगी, जीना पड़े जिस हाल में।।
मांग सको तो सद्बुद्धि मांगो, जो जीवन संयमित करती है।
कर सको तो कुछ नेकी कर लो, अशांत मन की पीड़ा हरती है।।
जीते रहना और बात है, जीना विरलों की शान है ।
पशुवत जीवन का क्या फायदा, तू चंद दिनों का मेहमान है।।
कर गुजर कुछ ऐसा, जो दुनिया तुझको प्यार करे।
हर जन में प्रभु को देखो, बिन मांगे भव से पार करें।।
क्या लाया, क्या ले जाएगा, दुनिया तो एक छलावा है।
अंतिम घड़ी "गुरु नाम" तू जप ले, "नीरज" बाकी सब दिखावा है