गुरु का वन्दन
गुरु का वन्दन
गुरुजी के चरणों का वन्दन
ईश्वर से भी पहले करते हैं ।
दया के सागर गुरुवर होते,
देते सदा दया धर्म का ज्ञान।
जीवों की रक्षा हित गुरुवर,
करते हैं नित काम महान।
ईश्वर के सन्मुख हो करके
गुरुवर को शीश नवाते हैं ।
सत्य, अहिंसा औ परोपकार,
सबको सदा सिखाया करते।
कैसे सच्चा सुख है मिलता?
सबको ही समझाया करते।
ईश्वर के सन्मुख हो करके
गुरुवर को शीश नवाते हैं ।
जग के हित होता समर्पित
गुरुवर का पूरा ही जीवन।
ऐसे गुरु दुनिया में हमेशा,
सत्कर्मों से बड़े ही मिलते।
ईश्वर के सन्मुख हो करके
गुरुवर को शीश नवाते हैं।