गुलाब
गुलाब
जब कोई इश्क परवान चढ़ेगा,
फिर कोई 'गुलाब' कुर्बान होगा।
ये किस्सा तो पहले भी हुआ है,
फिर ये किस्सा सरेआम होगा।
कभी कान्हा ने राधारानी को तो,
बाजीराव ने मस्तानी को दिया होगा।
कभी लैला ने मजनूँ को तो कभी,
कभी हीर ने रांझा को दिया होगा।
दो प्रेमी प्यार को अंजाम देगा,
फिर वो चाहे तो बदनाम होगा।
इस दिन के इंतजार में ना जाने ,
कैसे पलक बिछाए हुए वो होगा।
इस गुलाब की पंखुड़ियों पर,
मेरे महबूब तेरा ही नाम होगा।
आज गुलाब दिवस पर सरेआम,
'दीपक' मेरा प्यार तेरे नाम होगा।