गुलाब ने कहा
गुलाब ने कहा
गुलाब ने कहा ऐ आशिक़-ए-इश्क़
तू मझे तोड़कर अपनी महबूबा से
इज़हार-ए-इश्क़ जब करता है
तेरी महबूबा की खुशी से मेरा रंग
और खिलता है पर जिस तरह
तू मुझे तोड़कर ले गया
वैसे अपनी महबूबा के दिल को
कभी तोड़कर न जाना
मेरा तो बस है इतना कहना
तभी मेरा टूटना वाजिब होगा।

