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Deepika Raj Solanki

Abstract

4.2  

Deepika Raj Solanki

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गुजारिश है अगर दिल में आना है.

गुजारिश है अगर दिल में आना है.

1 min
332


गुजारिश है अगर दिल में आना है..

जहन में समा जाना है...

तो जाना नहीं फिर कभी कहीं.

रूठे को मनाने की कला

हमने अभी तक सीखी नहीं...

फिर ना कहना तुमने रोका नहीं.

बहुत नाजुक है यह दिल,

जो टूटा तो जुड़ेगा नहीं...

सोच लो तुम...

फिर ना कहना बोला नहीं.

गुजारिश है..........

कमी कुछ हम में भी है

खूबियां तुम में भी कई..

कम ज्यादा का तालमेल बैठे तो...

आना यही.... फिर ना जाना कहीं

बहकना इसे भाता नहीं..

सच्चा है ये, झूठा इसमें समाता नहीं.

तआरुफ़ और हम क्या दें...

बहुत नाजुक है डोर दिल की..

कटी तो फर्श पर मिलेगी जिंदगी..

फरमाइश इतनी है-

कि चिलमन है यह जिंदगी की धूप छांव

तुम कुछ छुपाना नहीं..

खुली किताब है हम..

कोई पन्ना पिन्हा में रखते नहीं..

हो मंजूर तो चले आना..

आना तो फिर जाना कहीं नहीं।



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