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Vihaan Srivastava

Action

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Vihaan Srivastava

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गर्व एक अभिमान

गर्व एक अभिमान

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झुक नहीं सकते कभी भी,हो लहू से सामना,

देशभक्ति मे घिरे हैं,देश को है थामना।

एक शहादत ही सिपाही,की रही है कामना,

मौत भी रोने लगी है,आंसुओं का नाम ना।


न डरे हैं तोप से, वो वीर बनते कोप से,

जोखिमों से क्या भिडे़ वो,भिड़ गये प्रकोप से।


जिगरे में है दम तेरे तो भून दे,

हौसलों मे जान है तो खून दे,

हम तो कब का मर मिटे हैं देश पर,

आज जान छीनकर सुकून दे।


एक गोली ,पड़ गयी जो जालिमों,

चीख से ही बोलोगे नमो नमो,

एकता मे हम, जुड़े हैं इस कदर

दम हो तो बस,एक क्षण रूको थमो।


सर झुका है, देश के सम्मान में,

न झुका है, न झुके अपमान में,

लाख गोली दाग, दो ऐ शत्रुओं ,

उठ खड़े होंगे , जमीं की शान में।


देश हमसे ही सुरक्षित सोचकर,

हर घडी़ ही आँसुओं को पोछकर,

ममता व हम प्रेम से रूसवा हुए,

दम भरेंगे जख्म तेरे नोचकर।


मातृभूमि माँ बनी पिता मान हैं,

देश की इनसे जुड़ी पहिचान है,

मौत भी होती रही अन्जान तब

जब गर्व से ही शख्सियत महान है।


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