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Poetry Lover

Tragedy

3  

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Tragedy

गरीबी

गरीबी

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आश्रय लिए टिके हैं जो सड़कों किनारे

अक्सर फुटपाथ पर ही उनकी रात होती है


दो वक्त की रोटी को उठाते जो जोखिम

उनके सपनों में हड़ताल की बात होती है


रोजगार नंगे पांव खींच लाये जो मीलों दूर

पेट की भूख मिटाना ही एक जज्बात होती है


धूप छाँव बरसात में बोझ लिए दौड़ते भागते

उम्र भर का ये घाव बस कयामत होती है


दुनिया का हर संकट होता है उन पर हावी

खिलवाड़ ही खेलकर उनसे विश्वासघात होती है



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