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Poetry Lover

Abstract

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मिट्टी

मिट्टी

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मिट्टी


इसी मिट्टी में दफन हैं,

छिपे कई राज हमारे।

एक अद्भुत ऊर्जा छिपी है,

छिपे हैं वो दस्तूर सारे।


यहीं जमे हैं सशक्त हिमालय,

और खड़ी हैं वो ऊंची इमारतें।

इसी मिट्टी में जन्मे अनेक,

महापुरुषों की मजबूत रणनीतियां।।


आकाश के सारे नक्षत्रों पर,

हुआ यहीं से उन पर कब्जा।

चाँद की धरती को छूकर,

दिखा नीली धरती का काफिला।।


रंग हैं बसे जिसके आधार पर,

गेहूं, धान, सब्जियाँ उगती जहां।

वह मिट्टी है बस गुलाल की,

जहां जन्मते अनेक दुलार हैं ।।


जहां छिपा है परिवार का प्यार,

छिपी है समृद्धि का आधार।

टिका है लाखों करोड़ों का व्यापार,

हमारी सांसो का एक ही निरंकार।।


जिसके खून में है मिट्टी सनी,

आज दुनिया उनके मेहनत से बनी।

दिल में है जिसका वतन का प्यार,

ईश्वर का आशीर्वाद है उनपर बरकरार।


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