चुभन
चुभन
रेत सी असहाय कुछ को खनकती मेरी कविताएं,
नाग के फन की तरह चुभ जाती मेरी ये कविताएं ।
किसी वीरान मरुस्थल में जैसे एक अधीर वृद्ध,
हो झरने के तलाश में नजर आती मेरी कविताएं ।
किताब का आखिरी पन्ना और दुखती मेरी कविताएं,
रात भर सिसकियाँ भरती मेरी ठिठुरती मेरी कविताएं।
सांसों में दहकती और राग गाती मेरी कविताएं,
नस नस फटती और वेदना जगाती मेरी कविताएं ।
