गरीबी
गरीबी


सड़क पर ठंड से ठिठुरते,
झूठी पत्तल चाटते,भूखे बच्चों
को सुलाने के लिए,पानी उबाल
कर पिलाते,बीमार बच्चा,बिन दवाई
के मर जाते,सूनी आंखों से ताकते
देखे हैं कई गरीब हमने।
ये वो गरीब हैं जो किसी
अभिशाप से ग्रस्त हैं।
आज नहीं तो कल इनकी
स्थिति बदल सकती है।
कभी मेहनत से तो कभी
भाग्य से तकदीर इनकी
चमक सकती है।
पर जो मन स्थिति से गरीब हो,
सब कुछ होते हुए भी फकीर हो।
दूसरों की उन्नति से जलता हो
अपनी तर रोटी भी, सूखी स
मझता हो
पाई पाई बचाने को जद्दोजहद करता हो
न खुद खुश रहे और न दूसरे को होने देता हो।
उस गरीब को क्या कहें?
एक उनसे भी आगे के होते हैं।
खुद का माल तिजोरियों में भरकर
दूसरे के हिस्से का खाते हैं।
पिस्सू की तरह कमजोर का खून चूसकर
अखबारों में दानवीर कहलाते हैं।
गरीब,गरीब में फर्क होता है।
जो कर्मो से गरीब है वो अच्छे
कर्म कर गरीबी काट सकता है,
पर जो स्वभाव से गरीब है,उस
"दया के पात्र" का भगवान ही
शायद कुछ कर सकता है।