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Sakshi Singh

Tragedy Others

4.5  

Sakshi Singh

Tragedy Others

ग़रीबी

ग़रीबी

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गरीबों का अगर जीवन नहीं देखा तो क्या देखा, 

कोई उजड़ा हुआ गुलशन नहीं देखा तो क्या देखा, 

हक़ीक़त रूबरू होकर तुम्हें अनुभव दिलाएगी, 

बिना घर का कोई आँगन नहीं देखा तो क्या देखा।

आओ आज उनकी जिंदगी के बारे में बताती हूं,

गरीबी की दासता सुनाती हूं।


गरीबी इंसान को लाचार बना देती है….

जो दिन ना देखे वह सब दिखाती है

हालात के हालात बदल देती है

उसको मजबूर बना देती है

आओ आंखों देखा हाल बताती हूं,

ग़रीब की दासता सुनाती हूं।


लोग देख कर भी कर देते हैं अनदेखा

ऐ इंसान! तूने नहीं देखा तो भगवान ने नहीं देखा

करते चलो भला जिसको ज़रूरत है

साहब! भगवान अँधा नहीं उसने सब देखा

अजीब सी कहानी बताती हूं,

गरीबी की दासता सुनाती हूं।


        


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