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मिली साहा

Romance

4.7  

मिली साहा

Romance

गर तुम न मिले होते

गर तुम न मिले होते

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356


मुझे गर तुम न मिले होते, तो शायद कोई रंग भी न होता

मेरी इस बेरंग सी जिंदगी की तस्वीर का।


इस सफ़र में तुम न होते तो शायद एहसास भी न होता 

ज़िन्दगी में मोहब्बत की अहमियत का।


यूंँ ही भटकते रहते अजनबी राहों पे, कभी समझ न पाते

हर पल में यहाँ ज़िन्दगी नाम है जीने का।


ख़्वाब कई थे, इन आँखों में पर एक धूल की परत थी चढ़ी

तुम जो मिल गए तो एक किनारा मिल गया उन ख़्वाबों को।


गुल ए गुलज़ार हुई ज़िन्दगी, गुलशन में प्यार के फूल खिले

मुझ तक आने का रास्ता मिल गया भटकी हुई खुशियों को।


यह सब असर है तुम्हारे साथ का, मोहब्बत का, विश्वास का

जिस ने जीना सिखाया और एक उड़ान दी मेरे हौसलों को।


अविरल बहती जाऊँ तुम्हारी प्रेम धारा में उम्र भर इसी तरह

कि तुमने ही तो संभाला है, हर लम्हा, मेरी मुस्कुराहटों को।


तुम समझ जाते हो, इस दिल की हर बात खामोशियों ने भी

मैं कुछ कहूँ या कहूँ तुम आँखों में पढ़ लेते हो जज्बातों को।


हर एक बात निराली तुम में, हो तुम सबसे अलग दुनिया में

तुम्हें पाया है किस्मत से मैंने, अपनी किस्मत की लकीरों में।


तुम इस जिंदगी के सफर में गर हमसफ़र, हमराही ना होते

तो मुझे कभी यकीन ही नहीं होता किस्मत की इन बातों में।


तुमसे मिलकर ही जाना है, ज़िन्दगी की खूबसूरती को मैंने

तुम न होते तो एहसास न होता ज़िंदगी घुली कितने रंगों में।



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