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Sandip Kumar Singh

Fantasy

4  

Sandip Kumar Singh

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गोवर्धन _पूजा

गोवर्धन _पूजा

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गोवर्धन पूजा करूं, पर्वत से है आस।

मधुसूदन के सब कृपा, नन्द ग्राम में हास।।


लगातार पानी परे,त्राहिमाम में लोग।

गोवर्धन पर्वत उठा, लिए कृष्ण ने योग।।


इंद्र भेंट को रोक कर, शिखर भजन आरम्भ।

गोवर्धन ही पूज है, उसमें हुआ विश्रंभ।।


भोली सूरत श्याम ने, किए बड़े उपकार।

धर्म कर्म को दृढ़ किए,लिए मनुज अवतार।।


पशु पूजा भी आज है, जीवन में है साथ।

बांध नया दृढ़ डोर से, रहे अनुराग हाथ।।


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