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Chandramohan Kisku

Tragedy

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Chandramohan Kisku

Tragedy

गोरखपुर के घोड़े

गोरखपुर के घोड़े

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नहाना,खाना और पढ़ना 

कामों की तरह 

मेरा और भी काम है 

प्यारा पोता 

हमारे परिवार के 

राजपुत्र के लिए 

मैं हरदिन ही बनता हूँ घोड़ा।


देश के सभी परिवार में ही 

बूढ़े दादाजी लोग 

अपने पोतों के 

घोड़े ही है ,

बच्चे घोड़े पर बैठकर 

घूमते रहते हैं।


टेलीविज़न की पर्दे पर देखा 

स्वस्थ्य लाभ के उद्देश्य से गए 

कुछ कम उम्र के बच्चे 

अपने परिवार के राजपुत्र 

घोड़ों के पीठ पर चढ़नेवाले  

प्राणवायु की अभाव से 

स्वास्थ्य केंद्र में ही 

प्राण त्याग दिये।


समाचार भी ख़त्म हो गया 

सुंदरवालों बाली वह लड़की भी 

अदृश्य हो गई

मेरा रूप भी बदल गया 

राजपुत्र उपस्थित हुआ 

मैं आदमी से घोड़ा बन गया।


गोरखपुर की वह घटना 

याद हो आता है बार -बार 

आँसू गिरता है बूँद-बूँद

भींगती है धरती की धूल।


गोरखपुर के उन घोड़ों के 

अब काम नहीं है 

केवल मुँह छुपाकर रोना 

आँसू गिराने के सिवा।


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