Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

JAYANTA TOPADAR

Tragedy

4  

JAYANTA TOPADAR

Tragedy

आप ही रखना, राम जी, मेरी झोपड़ी संभालकर!

आप ही रखना, राम जी, मेरी झोपड़ी संभालकर!

2 mins
14


बन चुकीं हैं

बड़ी-बड़ी 'बिल्डिंग',

मगर दशा न बदली

मेरी टूटी-फूटी झोपड़ी की...!!!


तूफानी हवाएँ आनन-फानन

हिलाकर रख देतीं हैं

मेरी टूटी-फूटी झोपड़ी...!!!

(और मैं लाचार-सा

अपनी हाथों को जोड़कर

बस ऊपरवाले को ही

पुकारा करता हूँ...!)


और तो और

घनघोर बरसात की

बात मैं क्या कहूँ...!

असंख्य छिद्रों से भरी छत से तो

पानी के टपकने की

और अंदर रखे

ज़रूरी सामानों को

बरबाद करने की

जैसे होड़-सी लग जाती है

बेमौसम बरसात के दिनों में...!!


ओ मेरे राम जी ! मेरी तो कोई

सुनता ही नहीं...

(बशर्ते सुन भी लेता है,

तो भी तवज्जो कोई देता नहीं...!)


ये आधुनिक तकनीक से भरी

आज की

भागदौड़ भरी दुनिया...

ये स्वार्थपूर्ति और

स्वार्थसिद्धि का बोलबाला...

"जिसकी लाठी, उसकी भैंस" -- वाली बात

महज़ किताबी नहीं,

हक़ीक़त में रुबरु होता है...!


कोई माने या न माने,

मगर हे राम जी,

आप ही बचाना

इन तूफानों में

मेरी टूटी-फूटी झोपड़ी,

क्योंकि वो 'क्षमतावान' लोग तो...

बस दूर से ही

'मूक दर्शक' बने

बैठे दिखते हैं...!!


ये बड़े लोगों की

बड़ी-बड़ी बातें

बस कहने को ही हैं,

असल ज़िन्दगी में तो

माजरा कुछ और ही है...!

(वो ऐन मौके पर

दिख ही जाता है!)


बस अपने मतलब की 

दुनियादारी यहाँ;

दिखावटीपन से भरी 

महफिलें सजतीं हैं यहाँ...!

बड़ी-बड़ी भाषणबाजी, झूठे वादे

और असंभावित उनके दावे...

यही उमदा अभिनय है, 

जो कि 'उन लोगों का'

एक अभियान-सा 

बन गया है...!


मुझे बेशक़ मालूम है

वो अपनी आदत 

कभी बदलेंगे नहीं

और ये भी तय है कि

मैं अपनी आवाज़ 

कहीं दबने दूँगा नहीं...!!


मैं ज़िंदा हूँ, ओ सितमगर वक्त,

मैं अपनी आवाज़ 

और बुलंद करूँगा...!!!

मगर मुझे ये

पूरा यकीन है कि

मेरा वक्त भी एक दिन बदलेगा...

और मैं स्वाभिमान से बोलता हूँ :

"चाहे लाख तूफां आए,

चाहे गर्दिश में हों

सितारे मेरे,

मुझे अपनी औकात का

आखिर इल्म तो है...!

बेशक़ मैं अपनी

असली मंज़िल का वो ठिकाना

ढूँढ़ ही लूँगा...!!!


मैं अपनी हाथ की

लकीरों पे नहीं,

अपने अटूट आत्मबल पे

भरोसा करता हूँ...।

बस ओ मेरे राम जी, आप ही रखना

मेरी झोपड़ी संभालकर !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy