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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics Inspirational

गणित

गणित

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जो पढ़ते है, सदैव गणित

प्रशन्न रहते है, सदैव नित

धन-धान्य से होते परिपूर्ण

गणित है, सृष्टि का मूल


बिना लक्ष्मी के जीवन

जैसे बिना सुगंधित वन

वैसे बिना पढ़े गणित

व्यर्थ है मनुष्य जीवन


इसलिये पढ़िए गणित

चाँद-तारो तक कर दो

विजय-पताका नित

कहता है, साखी


सुनो सब मेरे मीत

बिना पढ़े गणित

न होता कोई

देश विकसित

जिसकी उन्नत गणित


वो असंख्य तारो में,

चमकता है, नित

जय-जय गणित

तेरे को कोटि नमन


तुझमे अणु चरित्र

गर आर्यभट्ट न देता

शून्य की जमीन

न होता विश्व विकसित


गौरवशाली है, हिन्द

यहां उन्नत है, गणित

बिना पढ़े भी लोग

सही बताते हैं, गणित


यहाँ धूप घड़ी जो बताती

सही वक्त, काल-कलित 

यहां है, ज्योतिष

जिसका सही फलित


क्या भूत, क्या भविष्य

सबका है, यहां गणित

भारत है, ऐसा ध्रुव तारा

जो देता सही दिशा नित


जो रखे गणित से प्रीत

उसकी होती सदा जीत

गणित से मन लगाओ

पूरी दुनिया कर लो चित


गणित में होता है, साखी

अपना आत्म तत्व जीवित

जब निकलता आत्म तत्व

तब हो जाता तन शिथिल


कहते है मुनि और ज्ञानी

गणित वस्त्र बदलता है, नित

खुदा का एक ही है, संगीत

कहता है, जग जिसे गणित


इससे करता जग उत्तपत्ति

रब बनाता वो जीवन चरित्र

गणित से जीवन सुसज्जित

बिना गणित जीवन दरिद्र


इसलिये पढ़ते रहे, गणित

प्रसन्न रहोगे सदैव, नित।


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