गंभीर बनो
गंभीर बनो
अधीर नहीं गंभीर बनो,
लक्ष्य का सीधा तीर बनो।
सतत संघर्ष है जीवन में,
हरदम प्रयत्नशील बनो।
कभी न आए निराशा मन में,
आशा का ऐसा जगमग दीप बनो।
शत्रु भी न चाहकर भी भरे आह,
ह्रदय भेदी ऐसा तुम शूल बनो।
मानवता ही हो धर्म तुम्हारा,
इंसान ऐसा दरियादिल बनो।
आत्मसम्मान का कभी न करना सौदा,
स्वाभिमान की ऐसी तुम मिसाल बनो।
अहंकार की विषबेल न बनना,
फल लदे वृक्ष की झुकी लचकती डाल बनो।
आलोचना के पत्थर से न कभी विचलित होना,
सफलता की ऐसी अभेद्य चट्टान बनो।
