नन्ही गौरैया
नन्ही गौरैया
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वो नन्ही सी चिड़िया,
आज फिर मुझको मिली।
कहीं अखबारों में छपी,
किस्सों में बुजुर्गों के मिली।
घरों में कभी साथ रहती थी,
अब उसको ढूंढने मैं निकली।
पूछती हूं उसका पता सबसे,
साथ तस्वीर लेकर मैं चली।
नन्ही सी कंधों पर फुदकती,
जाने क्यों अजनबी हो गई।
भूरी सी रंगत थी प्यारी उसकी,
खूबसूरत पंख लिए उड़ गई कहीं।
बेकद्री में उसको हमने खो दिया,
विश्व गौरेया दिवस पर याद किया।
चलो प्यार से फिर खाना पानी सजाते हैं,
आओ अपने घर को उसका भी घर बनाते हैं।
गौरैया दिवस के अवसर पर