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Dimple Khari

Tragedy

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Dimple Khari

Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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कभी वो हमें खोने से डरते थे,

आज मैं उन्हें खोने के डर में जी रही हूँ।

ऐसा नहीं है की चाहत नहीं उन्हें हमसे ,

उनकी उम्मीद और ख़्वाहिश भी मैं ही रही हूँ।

बस कुछ अन्दाज़ बदल गये ,

कुछ बदले हैं जज़्बात।

रिश्ते की डोर नहीं टूटी ,

बस बदले हैं हालात।

नहीं प्यार है उनका झूठा ,

नहीं प्यार है मेरा रूठा।

फिर भी जाने क्यों कश्मकश है

या क़िस्मत का अन्दाज़ अनूठा।


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