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Er Rashid Husain

Tragedy

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Er Rashid Husain

Tragedy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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फूल उल्फत भरा खिला ही नहीं।

जिस को चाहा था वो मिला ही नहीं।।

दिल में ऐसे बसे हुए हो तुम।

दिल किसी और का हुआ ही नहीं।।

बात जिसमें न हो मोहब्बत की।

ऐसा लम्हा कोई जिया ही नहीं।।

जब से तुम छोड़ कर गए हो मुझे।

चैन दिल को मेरे मिला ही नहीं।।

चोट वो खाई है मोहब्बत में।

मेरे गम की कहीं दवा ही नहीं।।

में ताल्लुक निभाऊंगा कब तक।

उसके किरदार में वफ़ा ही नहीं।।

उम्र भर इंतजार कर लेता।

उसने वादा कोई किया ही नहीं।।

सारी दुनिया की है खबर मुझ को।

अपने बारे में कुछ पता ही नहीं।।

सारे रिश्ते हैं मतलबी राशिद।

खैरियत कोई पूछता ही नहीं।।



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