मां
मां
मेरी मां का आंचल जो मुझसे छूट गया है।
जिंदगी का हर ख्वाब जैसे टूट गया है।।
मेरी मुस्कराहट में उसकी हंसी दिखती थी।
मेरी उदासी में आंखों की नमी दिखती थी
मेरा हसीन माजी एक क़िस्सा हो गया है।
चांद-तारों में उसका आशियां हो गया है।।
मिलने-मिलाने का रास्ता अब छूट गया है।
दरख़्त का नाता शाख से अब टूट गया है।।
मुझे परेशान देख वो खिज्र सी आ रही है।
दुआएं मुझ पे लुटाकर गले से लगा रही है।।
टूटा अचानक देखा जो अभी ख्वाब था।
ख्वाब में ही सही मां से मिलना सवाब था।
जिंदा रहने का हौसला भी अब टूट गया है।
सब कुछ होकर भी सब कुछ छूट गया है।।
