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Er Rashid Husain

Abstract

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Er Rashid Husain

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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मैं कागज़ पे अपने ख्यालात लिखता।

छिपे हैं जो दिल में वो हालात लिखता।।


न होता जो डर तेरी रुसवाइयों का।

गुजरते हैं किस तरह दिन रात लिखता।।


अगर बेवफा तुझ से उल्फत न होती।

मोहब्बत ने दी है जो सौगात लिखता।।


में लिखता अगर अपने दिल की तबाही।

तेरा नाम लिखता तेरी पात लिखता।।


सहारा न होती अगर याद तेरी।

तेरे गम को अश्कों की बरसात लिखता।।


क़सीदे लिखे हुस्न वालो के सब ने।

कोई आशिको के भी जज़्बात लिखता।।


अमीरों की खैरात लिखने से पहले।

कोई गम के मारो के सदमात लिखता।।


कई दोस्तो के भी नाम आ रहे थे।

अगर दुश्मनों की में औकात लिखता।।


किया करती बातें जो तस्वीर तेरी।

जुदाई को राशिद मुलाक़ात लिखता।।


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