Ms SUDHA PANDA

Abstract

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Ms SUDHA PANDA

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गजल

गजल

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मापनी-2212-2212-2212-2212


दिल का बुरा मैं हूँ नहीं,                    

नादान मुझको मान लो।

ये दिल तुम्हारे बिन नहीं, 

बेजान हमको जान लो।।


सूरज जहाँ निकला तभी,

होता उजाला भी जान लो।

अज्ञान हिय अति कहीं,

तम का अँधेरा मान लो।।


गम था नहीं कुछ भी यही,

ना ही खुशी है जान लो।

मैं तोड़ बन्धन को कहीं,

खुद राह चुनती ये मान लो।।



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