STORYMIRROR

इंदर भोले नाथ

Romance

2  

इंदर भोले नाथ

Romance

गज़ल

गज़ल

1 min
234


जुड़ती रहे कड़ी से कड़ी हर लम्हा एहसासों का

चलता रहे सिलसिला यूँ ही मुलाकातों का


रूबरू तुम हो न हो, रहे जिक्र तुम्हारी यादों का

चलता रहे सिलसिला यूँ ही मुलाकातों का


ख्वाब लिए इन आँखों में रोज गुजरती रातों का

लौ जैसी जलती बुझती सुलग रही जज्बातों का


कोई गिला नहीं तुमसे "इन्दर", है ऐतबार तुम्हारे वादों का

चलता रहे सिलसिला यूँ ही मुलाकातों का


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance