Shyam Kunvar Bharti

Romance

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Shyam Kunvar Bharti

Romance

गजल- सोचा न था |

गजल- सोचा न था |

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ठुकरा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था

दगा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था


खुद से भी जियादा एतवार था मुझे उसपर

दफा कह देगा इस तरह कभी सोचा न था


हुश्न वाले पत्थर दिल होते कहते है लोग

दिल तोड़ देगा इस तरह कभी सोचा न था


दुनिया दिल बसाएँगे साथ थी तमन्ना मेरी

घर जला देगा इस तरह कभी सोचा न था


निगाहों मे प्यार होठो मुस्कान एक धोखा था

रुला देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था


मेरी शुबह शाम उसके नाम क्या मंजर था

खंजर चला देगा इस तरह कभी सोचा न था


जान ओ जिगर मांग लेता मै हंस के दे देता

मजधार डूबा देगा इस तरह कभी सोचा न था


गुले गुलजार जाने बहार बस वही तो था मेरा

गैर हाथ मिला लेगा इस तरह कभी सोचा न था


उसके हुश्न ओ अदा सदा नाज करता था मै

गैर बना देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था>


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