गजल- सोचा न था |
गजल- सोचा न था |
ठुकरा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था
दगा देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था
खुद से भी जियादा एतवार था मुझे उसपर
दफा कह देगा इस तरह कभी सोचा न था
हुश्न वाले पत्थर दिल होते कहते है लोग
दिल तोड़ देगा इस तरह कभी सोचा न था
दुनिया दिल बसाएँगे साथ थी तमन्ना मेरी
घर जला देगा इस तरह कभी सोचा न था
निगाहों मे प्यार होठो मुस्कान एक धोखा था
रुला देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था
मेरी शुबह शाम उसके नाम क्या मंजर था
खंजर चला देगा इस तरह कभी सोचा न था
जान ओ जिगर मांग लेता मै हंस के दे देता
मजधार डूबा देगा इस तरह कभी सोचा न था
गुले गुलजार जाने बहार बस वही तो था मेरा
गैर हाथ मिला लेगा इस तरह कभी सोचा न था
उसके हुश्न ओ अदा सदा नाज करता था मै
गैर बना देगा मुझे इस तरह कभी सोचा न था>