जनम जनम का साथ
जनम जनम का साथ
जब पिता ने दिया तुम्हारे हाथ में मेरा हाथ,
तो मैंने भी तुम्हें मान लिया था अपना प्राणनाथ,
मन ही मन ठान लिया था करेंगे नयी शुरुआत,
जिसमें प्रेम की नींव रख बनायेंगे अपना ख़्वाबगाह,
एक दूसरे की गलतियों को करेंगे थोड़ा नज़रअंदाज़,
बहस होगी तो दोनों में से एक सुन लेगा चुपचाप,
क्योंकि मोहब्बत में समझौता बढ़ाता आपसी प्यार,
और वैसे भी प्रिये हमारा तो हैँ जनम- जनम का साथ।