बुनियाद
बुनियाद
जैसे घरौंदा बनाने के लिये मजबूत बुनियाद जरूरी हैं,
वैसे ही परिवार में सामंजस्य के लिये प्यार जरूरी हैं।
मानव जीवन निस्संदेह जिम्मेदारियों की अनवरत झड़ी हैं
तो स्वाभाविक हैं जीवन में हम सब से गलतियाँ भी होती हैं।
अभिभावक और बच्चों के दरमियाँ नोक-झोंक होती हैं,
तब गुस्से में चिल्लाने या डांटने से पहले विवेक जरूरी हैं।
बच्चे जो देखते हैं वो ही सीखते हैं ये बात समझनी है,
जैसी करनी वैसी भरनी आपने ये कहावत तो सुनी ही हैं।
बचपन, जवानी, फिर बुढ़ापा यही बस ज़िन्दगी की कहानी हैं,
पिता से पुत्र, पुत्री, पत्नी को अच्छे व्यवहार की अपेक्षा होती हैं।
ज़िन्दगी के हर दौर में रिश्तों की ही तो पुनरावृति होती हैं,
जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल पाओगे यही रीत ज़िन्दगी की हैं।