दिल में रात और मुँह पर सवेरा
दिल में रात और मुँह पर सवेरा
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इंसानों की कुछ प्रजातियाँ ऐसी भी होती,
जिनकी हरकतें जानवरों से बदतर होती,
जिनके मुख पर तो राम बगल में छूरी छिपी,
मन ही मन खार खाते प्यार दिखाते ऊपरी,
जलन, ईर्ष्या, कुढ़न, नफ़रत कूट के मन में भरी,
चेहरे पर जलन की कालिमा स्वतः नज़र आती,
जो दिल में रात व मुँह पर सवेरा की भ्रान्ति लगती,
हेकड़ी मारकर तंज़ कसे जो बतियाते वक़्त भी,
ऐसे महानुभावों को पहचान सकते भरी भीड़ में भी,
मैं ये मैं वो ख़ुद की तारीफ़ में ज़ुबान थकती नहीं,
बातें करके पीठ पीछे निंदा करना आदत हैं इनकी,
ध्यान रखे ऐसे व्यक्तियों को मन की बातें बताए नहीं।