गजल- मुजरिम ए मोहब्बत
गजल- मुजरिम ए मोहब्बत
बहर -आजाद ,रदीफ़ -करेंगे ,काफिया – आर
तू खुश रहे तुझसे प्यार न करेंगे
आएगा नहीं तू तेरा इंतजार न करेंगे
चाहे जितना ढा ले तू जुल्मों सितम
वादा है मेरा तुझे कसूरवार न करेंगे
जितनी भी तलब हो तेरी मुझे मगर
दिल का कभी तुझे इजहार न करेंगे
बगैर तारीफ मेरी क्या तू हसीन नहीं
जुबां पे आए तारीफ इश्तहार न करेंगे
तड़पा के देख ले तू जी भर के मुझे
दर्द न हो तुझे कभी पलटवार न करेंगे
इश्क मैंने किया सजा भी मिले मुझे
दिल दुखे तेरा तुझसे तकरार न करेंगे
तेरा आशिक हूँ सजा का हकदार भी
दिल दे या दर्द उफ़ सरकार न करेंगे
मुजरिम ए मोहब्बत हूँ तेरा सजा दे मुझे
तू जन्नत ए हुस्न नजर तलवार न कहेंगे।