गीत : तेरी याद सताती है, मेरा
गीत : तेरी याद सताती है, मेरा
देवदार,चिनारों में, झेलम के किनारों में। तेरी याद सताती है, मेरा चैन चुराती है।.. रंगीन पहाड़ों में, जंगल और झाड़ों में । हर वक्त खयालों में, वादी के बाजारों मे। तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है.....
गर्मी में हवा ठंडी, जब डल झील से आती हैं।लगता है तेरी जुल्फें,हमसे टकराती हैं। महकी हो फिज़ा जैसे, कैसर के क्यारों में। तेरा चेहरा नजर आऐ,मुझे सभी शिकारों में।तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है.....
सर्दी के मौसम में , बर्फीले नजारे हैं। तन्हा जब रह जाऊं, तेरी यादों के सहारे हैं ।।गर्मी महशूस करूँ,तेरी सांसों के भंपारों में. तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है.....
मौसम ये पतझड का,सुनसान सा लगता है। यादों का झरोखा भी,अब वीरानसा लगता है।नाराज हुई जानम, हमसे तकरारों में... तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है.....
आए रुत जब बहारों की, फूलों का हार लिये।लगता है आ पहुँची तू , सोलह सिंगार किये । तेरा अक्श दिखे हमको,हर शै और नजारों में। तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है.....
बर्फीली सर्दी में गर्मी और बरसातों में । तेरी याद सताती है हमको दिन रातों में । रंगीन पहाड़ों में, जंगल और झाड़ों में । रहे हर वक्त खयालों में, वादी के बाजारों में। तेरी याद............ मेरा चैन चुराती है..
✍️ उल्लास भरतपुरी

