Akhtar Ali Shah

Romance

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Akhtar Ali Shah

Romance

घूंघट से आया निकल

घूंघट से आया निकल

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गीत

घूंघट से आया निकल

*****

चाँद घूंघट से आया निकल,

हर तरफ चांदनी छा गई।

देखकर तुझको ऐसा लगा ,

रौशनी की किरण आ गई ।।

*

प्यार के बादलों में घिरा ,

तेज़ सूरज का नम हो गया। 

जो तपिश थी वो ठंडी हुई ,

तमतमाना भी कम हो गया ।।

हो गई जो समर्पित अना,

जिंदगी को वो महका गई। 

चाँद घूंघट से आया निकल,

हर तरफ चांदनी छा गई ।।

*

तेरा मेरा मिलन रूपसी,

प्रेमियों की मुलाकात है।

प्रेम ही प्रेम है हर तरफ ,

दिल में तूफान है, रात है।।

रात रंगीन क्या हो गई,

नाव मंज़िल पे पहुंचा गई।

चाँद घूंघट से आया निकल,

हर तरफ चांदनी छा गई।।

*

चाँद की चांदनी को लिए,

तू ही शीतल धारा उर्वरा ।

आग सूरज की रखती है तू ,

तूने जीवन किया है हरा।।

गुनगुनाने लगी भौर फिर ,

नग्मगी दिल को बहका गई।

चाँद घूंघट से आया निकल ,

हर तरफ चांदनी छा गई।

*******

अख्तर अली शाह "अनंत" नीमच


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