घूंघट से आया निकल
घूंघट से आया निकल
गीत
घूंघट से आया निकल
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चाँद घूंघट से आया निकल,
हर तरफ चांदनी छा गई।
देखकर तुझको ऐसा लगा ,
रौशनी की किरण आ गई ।।
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प्यार के बादलों में घिरा ,
तेज़ सूरज का नम हो गया।
जो तपिश थी वो ठंडी हुई ,
तमतमाना भी कम हो गया ।।
हो गई जो समर्पित अना,
जिंदगी को वो महका गई।
चाँद घूंघट से आया निकल,
हर तरफ चांदनी छा गई ।।
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तेरा मेरा मिलन रूपसी,
प्रेमियों की मुलाकात है।
प्रेम ही प्रेम है हर तरफ ,
दिल में तूफान है, रात है।।
रात रंगीन क्या हो गई,
नाव मंज़िल पे पहुंचा गई।
चाँद घूंघट से आया निकल,
हर तरफ चांदनी छा गई।।
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चाँद की चांदनी को लिए,
तू ही शीतल धारा उर्वरा ।
आग सूरज की रखती है तू ,
तूने जीवन किया है हरा।।
गुनगुनाने लगी भौर फिर ,
नग्मगी दिल को बहका गई।
चाँद घूंघट से आया निकल ,
हर तरफ चांदनी छा गई।।
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अख्तर अली शाह "अनंत" नीमच