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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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घर से ही जन विरोध

घर से ही जन विरोध

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(28 अप्रैल,2020-मंगलवार)

प्रिय डायरी लेखन क्रम में हमने ,  

द्वेष की करनी है आज समीक्षा।

 स्वार्थ हेतु दोहरे रवैए अपनाते हैं,

कहां की है यह नीति-शिक्षा?


पालघर की "माॅब लिंचिंग" पर बने मूक,

विरोध का न निकला एक भी स्वर,

हत्या को बुलंदी पर ही रखा है पर ,

आज घटना जो घटी है बुलंदशहर।


दुर्भाग्यपूर्ण और अति घृणित दोनों , 

दोषियों को सजा संरक्षकों संग मिले,

"कोरोना योद्धा" हैं आतंक पीड़ित,

 हैं क्यों न रुकते हमले के सिलसिले।


जो पाते हैं राजनैतिक संरक्षण तो, 

अपराधियों के बढ़ते जाते हैं हौसले,

दोहरे मानदण्ड हैं सब दलों के ही,

 नहीं हैं इनमें दूध के कोई भी धुले।


निर्भया को न्याय में अन्याय का पुट, 

आतंकी रक्षण को कोर्ट रात्रि में खुले,

जनाक्रोश हो अब इतना भयंकर,

जो सारी चूलें तुष्टीकरण की फौरन ही हिलें।


हममें से हर एक बने सच्चा ही योद्धा,

जग के सबसे बड़े लोकतंत्र को हमने बचाना है,

ध्वस्त करनी हैं बांबियां हमें इन विषधरों की, 

आर्यावर्त को विश्वगुरु हर हाल में ही बनाना है।


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