Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

घर एक मंदिर

घर एक मंदिर

1 min
466


नहीं रहे आज हमारे बाबूजी

प्राण तो जैसे पहले

ही जा चुके थे उनके,

बस सासें ही अटकी हुईं थी,

वजह एक ही थी,

जब मैंनें उनसे कहा था कि

कि दिल्ली में नया फ्लैट लिया है,

चंद महीनों में जाना

है हम सब को वहाँ।


बस तभी से तबियत

बिगड़ने लगी उनकी,

टूट से गए वो,

उनकी दिनचर्या में

अचानक बदलाव से आने लगे,

गुमसुम से रहने लगे,

मैंनें एक दिन पूछ ही

डाला तो मुझे अपने पास बैठा

कर बोले, बेटा !


जिसमें हम रह रहे हैं

यह मात्र घर नहीं है मंदिर है ये,

इसके कण-कण को मैंनें,

अपने खून-पसीने से सींचा है,

इसकी छत-जमीन जैसे

माता-पिता हैं हमारे,

इसके आँगन ने माँ के

आँचल की तरह समय

के साथ-साथ हमारी

बढ़ती उम्र को देखा है।


इसकी खिड़कियों-

दरवाजों ने हर मौसम के

करवटों में साथ

निभाया है हमारा,

हमारे हर अच्छे-बुरे समय

का यही एकमात्र साक्षी है,

इसकी दीवारों ने पूरे

परिवार को जैसे,

अपनी गोदी में झुलाया है।


इसमें तेरी माँ की

खट्टी-मिठी

यादें बसी हैं, तेरी माँ ने

इसे खड़ा करने के लिए

अपने जेवर बेचे थे,

कईं तयौहारों, उत्सवों व

पर्वों का साक्षी है ये,

इसकी हवा ने हर तरह

के पकवान चखे हैं।


इसकी चौखट ने बाँह

पसारे हर किसी का

स्वागत किया है,

इसमें तेरी किलकारियाँ

गुँजती हैं,

यहाँ बचपन बीता है तेरा,

अब तू ही बता कि इससे मैं

अपना मुँह कैसे मोड़ दूँ।


यह मेरी खुशकिस्मती होगी

अगर ! फ्लैट में जाने से

पहले मैं, इसमें ही अपने प्राण

छोड़ दूँ।


Rate this content
Log in