घनाक्षरी
घनाक्षरी
मुख में है राम नाम,
जपते हैं धाम धाम,
पहरे के आठो याम,
करते कमाल हैं।।
नित नई चले चाल,
कौन पूछे हाल चाल,
बुने नित माया जाल,
बनते सवाल हैं।।
नेम प्रेम बोली भाषा,
तोड़ देते सारी आशा,
फेंकते हैं ऐसे पासा,
उठते बवाल हैं।।
खूब करो राजनीति,
कौन सुनें आप बीती,
सदियों की यही रीति,
जलते मशाल हैं।
