गहन तम की करो विदाई
गहन तम की करो विदाई
चहूँ दिशि सुंदर सुंदर दीप जलाओ,
गहनतम अँधियारे को दूर भगाओ !
लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति लाओ,
पूजाघर में संग उनको बिठाओ !
अब कार्तिक मास अमावस आयी,
चारों ऒर दीवाली ने धूम मचाई !
घर बाहर की जमकर करो सफ़ाई,
परिश्रम की कोई चोरी ना करो भाई !
फल मेवा लावा मिष्ठान भी लाओ,
भगवान को बड़े प्रेम से भोग लगाओ !
सकल सृष्टि को करो सुवासित,
नूतन आशा और भरो आलोकित !
अपने पर्यावरण को ध्यान में रखना,
प्रकृति को ना प्रदूषित उसको करना !
बम और पटाखे बिल्कुल मत लाना,
अनार,फुलझड़ी,मोमबत्ती चलाना !
पाँच दिनों का यह खास पर्व होता,
जो धनतेरस के दिन से शुरू होता !
चौदस के बाद फिर दीवाली का दिन,
भाईदूज के बाद ही समाप्त हो जाता !
बड़ा सुहाना त्यौहार है ये दिवाली,
सबको उल्लासित हर्षित करने वाली !
जीवन में नूतन आशा यह भर देती,
मन का आँगन भी रोशन कर देती !
