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Lokeshwari Kashyap

Action Classics Inspirational

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Lokeshwari Kashyap

Action Classics Inspirational

घमंड

घमंड

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किसी को रूप का घमंड है।

किसी को पैसे का घमंड है।

 किसी को पद का घमंड है।

 बाबूजी यह घमंड सर चढ़कर बोलता है।

 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।


 किसी को आन का घमंड है।

 किसी को शान का घमंड है।

 किसी को दान का घमंड है।

 बाबू जी किसी को मान का घमंड है।

 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।

 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।


 किसी को स्वाभिमान का घमंड है।

 किसी को खानदान का घमंड है।

किसी को ऊँची उड़ान का घमंड है।

बाबू जी किसी को खुले आसमान का घमंड है।

 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।


 माँ -बाप को बच्चों का घमंड है।

 बच्चों को माँ -बाप का घमंड है।

 किसी को रिश्तो का घमंड है।

 बाबूजी किसी को रिश्तेदारों का घमंड है।

 घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।


 रूप बुढ़ापे में ढल जाता है।

 धन कभी यहां तो कभी वहाँ चला जाता है।

 रिश्ते टूट जाते हैं, रिश्तेदार खो जाते हैं।

 बाबूजी समय सबका घमंड तोड़ देता है।

 लेकिन घमंड अपनी ही भाषा बोलता हैl


 मानता कोई नहीं, पर सब जानते हैं।

 घमंड किसी का सदा दिन रहता नहीं है।

घमंड का सर एक दिन झुक ही जाता है।

 बाबूजी फिर भी सब चढ़ते घमंड में चूर है।

 क्योंकि घमंड अपनी ही भाषा बोलता है।


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