ग़ज़ल
ग़ज़ल
सारी दुनिया पर आओ उपकार करें हम
प्यार मुहब्बत से इसका शृंगार करें हम
पाप नहीं पनपेगा मन में पक्का मानो
नफरत को जो इस दिल से बेज़ार करें हम
सूख चुके है फूल प्रेम के जिनके दिल में
उनके दिल पर प्रेम भरी बौछार करें हम
त्याग समर्पण के निस्बत से प्रेम फलेगा
चलो प्रेम के सपनो को साकार करें हम
प्रेम कृष्ण है प्रेम राम है यही हक़ीकत
ईश्वर की ख़ातिर इस जग से प्यार करें हम
एक वर्ष तक राह तके क्यूं दीवाली की
सुबह शाम अपना जीवन त्योहार करें हम
कानो में मिश्री घुल जाए सुन के जिसको
वैसी वाणी से ही अब गुफ्तार करें हम
पार क्षितिज के पाएंगे संसार प्रेम का
आओ मिलकर आज क्षितिज को पार करें हम
दुनिया भर का सौदा करना सीख लिया है
चलो कमल दिल से दिल का व्यापार करें हम।