मंजिल
मंजिल
कितनी दूर है तेरी मंजिल
रास्ता बडा लंबा है
चलता जा ए मुसाफिर
राह मे मिलो का खंबा है
अकेला है तो क्या गम रे
सफर की सुंदरता जान ले
इन वादियो में गुंजता संगीत
आनंद उसका उठा ले
राहें बदल सी जायेगी
नये मोड़ मिल जायेंगे
मंजिल मिलने तक
नये राहगीर मिल जायेंगे।