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अजय '' बनारसी ''

Inspirational

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अजय '' बनारसी ''

Inspirational

नौकरानी

नौकरानी

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जब से 

सास की सांस

की तकलीफ़

बढ़ी है

बहू ने सारी

जिम्मेदारी


अपनी सांसों पर

ले ली है

घर काफ़ी बड़ा है

दो देवर ननद

ससुर

और 

मेहमानों का तांता


एक दिन 

बहू ने पैर 

दबाते हुये

सासु माँ से 

एक नौकरानी

रखने का प्रस्ताव


सामने रखा

अपनी दिनचर्या का

एक एक हिस्सा

आंसुओ से गढ़ा


तब से सासु माँ

अपने मंझले बेटे को

मना रही हैं

दूसरी बहु

लाने के लिये


रिश्तेदारों के

फोन की

घन्टी बजा रही हैं

ये पितृसत्ताक समाज है

या 

पुरुष का शोषण

ये क्या है

क्यों आख़िर

एक औरत

दूसरी लड़की को

किसी माता पिता 

की प्यारी बेटी को

बनाना चाहती है

बहू


माफ कीजियेगा

नौकरानी

बेटे की अभी इच्छा है

कुछ बनने की

समय हुआ नहीं


उसके अभी शादी

करने की

उसे नौकर बन

पत्नी को नहीं बनाना है

नौकरानी


गाय का दूध पीते

इसीलिए दर्द होता है

लोगों को, चर्चा का

विषय भी बन जाता है

उन बैलों का क्या

जिनकी गर्दन का 

हिस्सा पीड़ा से

भर उठता है


बैलगाड़ी, तेल पेरने

हल के जूए से

पानी के पुरवट 

इत्यादि सभी कामो में

जब लकड़ी का 

वज़न रखा जाता है


उसके ऊपर

और हाँक दिया जाता है

यह तो शोषण है

पुरुष विमर्श है

जिसे अभी तक 

किसी ने छुआ तक नहीं है।


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