सब गोल है
सब गोल है
जिदंगी भरपूर है पन्नों से !
या फिर यूँ कह लीजिये कि,
जिदंगी का हरेक पल एक नया पन्ना है!
हरेक पन्ना अपनी किस्मत लेकर आता ज़रूर है,
मगर हमारे इरादे तय करते हैं
कौन से पन्ने कि आज आखरी रात है और किसकी नयी सुबह!
कुछ पन्नो कि समाप्ति से दुःखी ना होइए हुजूर,
शायद अगला पन्ना और भी रोमांचकारी हो !
अब, मान लो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो ?
दुःख के घनघोर काले बादल छाये रहे तो ?
हँसी का फव्वारा छोड़ीए,धूम नाचीये,
शोर मचाईए,गाना गाईए!
मानो जैसे बैंड-बाजा लेकर, बारात में निकले हों
क्यों! भाई क्यों
शायद आपकी इन्ही हरकतों की वजह से,
अल्हड़ लड़कपन के लुक्का-छुपी करने वाले पल,
साथ मिलकर बुरे वक्त को आपके नांदानियों के ढांचे में ढाल ले!
जिंदगी जलेबी कि तरह टेढ़ी ज़रूर है,
मगर चाशनी में घुलकर मीठी भी है।
इसलिए तो कहत रहीन जनाब...
जिदंगी से एक पन्ने कि समाप्ति
इस आशा के साथ कि,
नया पन्ना और भी खूबसूरत होगा।
ये मत भूलिए कि दुनिया गोल है,
खुशियाँ घूम-घामकर फिर से
मन की खिड़की पर झाँकती मिलेगी !
