"जिदंगी"
"जिदंगी"
जिदंगी खुबसूरत है;हसीन है,
यह हम सबने माना।
जिदंगी एक सफ़र है सुहाना,
राजेश खन्ना जी फटफटिया पर
गाने के बाद,
पूरी दुनिया ने जाना।
पता नहीं? उससे पहले,
क्या इस गाने के
आने का इंतजार कर रहे थे!?
हर कोई अपनी जिदंगी जी रहा है,
पर जब शाहरुख़ खान ने कहा,
"हर पल यहाँ जी भर जियो,
जो है शमा...'कल हो ना हो'!"
दुनिया ने अपने कान खड़े कर लिए।
आए दिन जिदंगी को लेकर...
कितनी शायरी बनी,
कितने तो ज्ञानदत्त बन गए,
और हम सबने उद्धरण से मन के द्वार खोले।
फिर भी प्रश्न वहीं का वहीं,
ये जिदंगी है क्या?
जिदंगी कैसी दिखती है?
जिदंगी का आकार क्या है?
ऐसे और भी बहुत सवाल,
मन में उमड़ता है
और हम सबको टटोलता है।
मुझे तो खासकर,
हर सेकंड लगता है...
और आखिरकार,
एक दिन जिदंगी से मिलना होता है।
जब उससे सवाल करने के लिए सर उठाया,
'तो वो ग़ायब!'
तभी पीछे से आवाज़ आई, "मैं यहाँ हूँ "।
जब पीछे मुड़ी तो,
वो दाएँ बाएँ होने लगी!
जब थोड़ा वो ठहलते हुए,
करीब आई;हाथ पैर हिलाते हुए,
मेरे सामने खड़ी हुई।
मैंने साँस रोककर झट से पूछा,
"जिदंगी तू है क्या?"
जिदंगी- क्या अब भी नहीं पकड़ पाई?
नहीं, बताओ ना,'तुम हो क्या?'
अरे!भई,"मैं गोल हूँ"!,
एक गोलाकार में घूमती रहती हूँ।
तुम तो मुझसे,हर पल
मिलती रहती हो!
गर मेरी बातों पर यकीन नहीं होता,
तो जाओ तजुर्बेकारों से पूछो!
और अगर वो भी नहीं,
तो अपने तजुर्बों से सीखो!
अंत में...
यकीन की बिजली कड़की,
आकाशवाणी से आवाज़ आई, "बेटा! जिदंगी गोलाकार है,
सब कुछ सीखो, करो,हारो और फिर से सीखो "!
